बिलासपुर में बैलिस्टिक फैब्रिक प्लांट
स्थापित किया गया है। जहां सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट तैयार की जाएंगी.
बुलेट प्रूफ जैकेट नईदुनिया प्रतिनिधि,
बिलासपुर।
बिलासपुर के युवा नमन के नवाचार को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। डीआरडीओ की मदद से
नमन ने बैलिस्टिक फैब्रिक प्लांट तैयार किया है. प्लांट में बुलेट प्रूफ जैकेट का
निर्माण किया जाएगा. जैकेट का निर्माण शुरू होते ही विदेशों पर निर्भरता कम हो
जायेगी.
अब तक हम बैलिस्टिक फैब्रिक के लिए
कोरिया, तुर्की, इजराइल और नीदरलैंड पर ही निर्भर रहे हैं। नमन
का स्टार्टअप विदेशी निर्भरता को काफी हद तक कम करने का दावा कर रहा है।
नमन ने सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र में
प्लांट लगाया है। नमन का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तो मार्च से प्लांट में
बैलिस्टिक फैब्रिक का उत्पादन शुरू हो जाएगा। प्लांट में तैयार कपड़े से 30
फीसदी कम लागत पर बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई जाएंगी. नमन का दावा है कि यह देश की
पहली यूनिट होगी जहां बैलिस्टिक फैब्रिक का उत्पादन किया जाएगा।
बैलिस्टिक फैब्रिक का उपयोग सैन्य
क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है। विदेशी निर्भरता को कम करने और सैन्य
क्षेत्र की मदद के लिए नमन ने डीआरडीओ की मदद से इस दिशा में कदम उठाया है और
नवाचार दिखाया है। यह प्लांट सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित किया गया है।
यहां बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने का काम शुरुआती चरण में है. मार्च से बड़े पैमाने पर
निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
नमन ने बताया कि उन्होंने कंपनी की
स्थापना 2020 के अंत में की थी। इसके लिए उन्होंने DRDO
से
टेक्निकल लाइसेंस लिया है। वे दुनिया की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ़ जैकेट बनाते हैं।
इसकी खासियत यह है कि करीब 10 फीट की दूरी से चलाई गई एके-47 की
गोलियां भी जैकेट को भेद नहीं पातीं। साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाली प्लेट का
वजन एक से सवा किलो तक होता है.
इनमें बैलिस्टिक फैब्रिक का इस्तेमाल
किया जाता है
तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए
नमन ने बताया कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए बैलिस्टिक फैब्रिक को कंप्रेस
करके प्लेट बनाई जाती है. इसका उपयोग सुरक्षा बलों को दिए जाने वाले हेलमेट,
हेलीकॉप्टर,
सैन्य
वाहनों सहित कई चीजों में किया जाता है। इसके उपयोग के पीछे सबसे बड़ा कारण टिकाऊ
और अधिक सुरक्षात्मक होना है। बैलिस्टिक फैब्रिक से बनी प्लेटें करीब 10 साल
तक खराब नहीं होती हैं।