भिलाई. अब आप घर बैठे ही अमरनाथ,
वैष्णोदवी,
तीर्थयात्रा
और हज जैसी तीर्थ यात्राएं पूरी भावना के साथ कर सकेंगे। यह संवर्धित और आभासी
वास्तविकता के माध्यम से संभव होगा। आपको घर बैठे दर्शन कराने के लिए वीआर हेडसेट
के साथ शरीर पर कुछ सेंसर लगाए जाएंगे। जब आप अमरनाथ की चढ़ाई करेंगे और इसे वीआर
में देखेंगे तो आपके पसीने छूट जाएंगे। आपको सांस लेने में भी तकलीफ महसूस होगी.
आपको ठंड भी लगेगी. आप बर्फानी बाबा को छू भी सकेंगे. बिल्कुल ऐसा लगेगा मानो आप
खुद वहां मौजूद हों. इस भावी तकनीक की जानकारी शुक्रवार को रूंगटा इंजीनियरिंग
कॉलेज (आर-1) में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शास्त्रार्थ
में अमेरिका की एनवाईयू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. सौंजय एस गौड़ ने दी।
उन्होंने बताया कि यह तकनीक आने वाले
पांच साल में उपलब्ध हो जायेगी. यह व्यवस्था सिर्फ यात्रा तक ही सीमित नहीं है,
बल्कि
देश में स्वास्थ्य से लेकर कृषि तक हर जगह मील का पत्थर साबित होगी। इस तकनीक के
जरिए मरीज के ऑपरेशन से पहले उसे दिखाया जा सकता है कि उसकी समस्या क्या है और
डॉक्टर उसका ऑपरेशन कैसे करेगा।
आस्था और तकनीक का संगम
डॉ. गौड़ ने कहा कि हर समाज में
तीर्थयात्राओं का विशेष महत्व होता है, लेकिन आर्थिक और शारीरिक कमजोरी के
कारण हर कोई इसमें भाग नहीं ले पाता है। इस तकनीक के जरिए उन्हें बिल्कुल उसी
अनुभव के साथ यात्रा करने का मौका मिलेगा। वहीं, स्वास्थ्य
व्यवस्था में ऑपरेशन जैसी स्थिति को लेकर मरीजों का डर कम हो जाएगा। खेतों में काम
करने वाला किसान VR-AR के जरिए नए जमाने की तकनीक को बहुत आसानी से
सीख और समझ सकेगा। यह चर्चा दो दिनों तक जारी रहेगी. उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि
के रूप में एनआईटी सूरत के निदेशक डॉ. अनुपम शुक्ला शामिल हुए। उन्होंने
शोधार्थियों को शोध में नवीनता लाने की सीख दी। रूंगटा ग्रुप के चेयरमैन संतोष
रूंगटा ने कहा कि शास्त्रार्थ तकनीकी विचारों को मंच देता है। कार्यक्रम में विशेष
अतिथि के रूप में आईईआई भिलाई चैप्टर के चेयरमैन पुनित चौबे शामिल हुए।
किसान एआई से खेती करेंगे
शास्त्रार्थ में मुख्य वक्ता के रूप
में शामिल हुए अमेरिकी कंपनी जॉन डीरे के रिलेशनशिप मैनेजर डॉ. बृजनंदन सिंह ने
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कृषि क्षेत्र में आ रही नई क्रांति के बारे
में बताया। कहा कि, भारत में किसानों की मुख्य समस्या खाद, बीज
और पानी से ज्यादा जनशक्ति की है। कुछ ही समय में भारत एआई आधारित कृषि उपकरणों का
उपयोग शुरू कर देगा। किसान के खेत में रोपाई से लेकर बुआई, खाद-पानी देने
तक सब काम रोबोट करेंगे। इससे एक ओर जहां सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता 50
प्रतिशत कम हो जायेगी, वहीं दूसरी ओर उत्पादन 60 प्रतिशत बढ़
जायेगा. उत्पाद की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट होगी. जिससे किसान को दोगुना मुनाफा होगा.
बुजुर्गों की सेवा करेंगे रोबोट!
कार्यक्रम में नीति आयोग, भारत
सरकार के ब्रांड एंबेसडर एवं एनआईटी प्रयागराज के प्रो. डॉ. रविप्रकाश तिवारी ने
रोबोटिक्स के बड़े दायरे के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कामकाजी
जीवनशैली में बुजुर्ग काफी अकेले हो गए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए ऐसे रोबोट
डिजाइन किए जा रहे हैं जो परिवार के सदस्य की तरह बुजुर्गों की देखभाल करेंगे। इसी
तरह विभिन्न कारणों से अपने हाथ-पैर खो चुके लोग भी रोबोटिक्स की मदद से फिर से चल
सकेंगे। इनमें रोबोट फिक्स्ड हाथ-पैर लगाए जा सकते हैं। इस संबंध में वैज्ञानिकों
का शोध अब आखिरी चरण में है। अगले साल तक इसमें बड़ा अपडेट देखने को मिलेगा।
देशभर से 480 शोधार्थी
पहुंचे
आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र
सिंह भी इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बने. उन्होंने साइबर डिफेंस के
बारे में जानकारी दी. इस वर्ष शास्त्रार्थ में देशभर से 480 शोधार्थी
अपने-अपने विषय में शोध पत्र पढ़ेंगे। सम्मेलन के समन्वयक संस्थान के निदेशक डॉ.
अजाजुद्दीन, प्रोफेसर डॉ. अजय कुशवाहा, डॉ.
पद्मावती श्रीवास्तव और डॉ. रामकृष्ण राठौड़ हैं। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन निदेशक
डॉ. सौरभ रूंगटा, सोनल रूंगटा, डॉ. वाईएम
गुप्ता, डॉ. मनोज वर्गीस मौजूद रहे।