माना जा रहा है कि हारे हुए पूर्व
मंत्रियों, विधायकों या बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने पर
चुनाव प्रबंधन को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी.
रायपुर. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के
लिए कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं. प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में लोकसभा
चुनाव की रणनीति बनाई गई. लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस मुश्किल में नजर आ
रही है. इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि कांग्रेस को देशभर में
उम्मीदवार नहीं मिलेंगे. आखिर गिरिराज सिंह ने ऐसा क्यों कहा, इस
पर सवाल उठ रहे हैं.
लोकसभा से पहले कांग्रेस संकट में नजर
आ रही है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में हारे हुए पूर्व मंत्रियों और विधायकों को चुनाव
लड़ाने का फॉर्मूला सामने आया है. माना जा रहा है कि हारे हुए पूर्व मंत्रियों,
विधायकों
या बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने पर चुनाव प्रबंधन को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी.
पार्टी संगठन और नेताओं की अपनी टीम भी पूरी ताकत से मैदान में काम करेगी. साथ ही
मौजूदा विधायकों के टिकट भी रद्द कर दिए गए. उन्हें लोकसभा उम्मीदवार बनाने पर भी
विचार किया गया. लेकिन हारे हुए पूर्व मंत्री और विधायक लोकसभा चुनाव से बचते नजर
आ रहे हैं. पूर्व मंत्रियों का कहना है कि वे अपनी ओर से टिकट नहीं मांगेंगे. अगर
पार्टी आलाकमान से निर्देश होंगे तो हम उसका पालन जरूर करेंगे. वहीं टिकट से वंचित
पूर्व विधायक चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज
सिंह के बयान ने हलचल मचा दी है. उन्होंने राम मंदिर का हवाला देते हुए कहा कि
कांग्रेस ने जो हिंदू विरोधी काम किया है, उसके चलते कांग्रेस को देशभर में उम्मीदवार
नहीं मिलेंगे. इससे पहले पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा. कांग्रेस के
नेता चुनाव लड़ने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि उन्हें अंदरूनी कलह और अंतर्कलह का
डर है.
कांग्रेस के बड़े नेता लोकसभा चुनाव से
दूरी बना रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अब तक लोकसभा
चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाई है. इस बार बीजेपी पूरे देश में राम
मंदिर को लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में कांग्रेस के
बड़े नेता लोकसभा चुनाव से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं. वहीं, नए दावेदार भी
टिकट मांगने से पहले अपनी जीत की संभावनाओं का आकलन कर रहे हैं। वहीं सचिन पायलट
ने वरिष्ठ नेताओं की सहमति से युवाओं को मौका देने की बात कही है. इससे साफ है कि
कांग्रेस कुछ सीटों पर हारे हुए नेताओं को मैदान में उतार सकती है. जबकि कुछ सीटों
पर नए चेहरे भी उतारे जा सकते हैं.|