छत्तीसगढ़ में राजस्थान बिजली कंपनी को आवंटित कोयला खदान रद्द करने की मांग, सर्व आदिवासी समाज ने सौंपा ज्ञापन

 


 

दरअसल, सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हसदेव अरण्य को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ समेत देशभर में प्रदर्शन हुए थे.

 

अंबिकापुर. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र, हसदेव अरण्य क्षेत्र, परसा पूर्वी, केते, बासेन और परसा में कोयला खनन में अवैध गतिविधियों के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित कोयला खदान को भी रद्द करने की मांग की जा रही है. इन मांगों को लेकर आज छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज सरगुजा ने मुख्यमंत्री के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

 

दरअसल, सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हसदेव अरण्य को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ समेत देशभर में प्रदर्शन हुए थे. लेकिन पुलिस की निगरानी में कई पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई. अब लोग लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. कुछ दिन पहले एक प्रदर्शनकारी समूह ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कोयला खनन बंद करने की मांग की थी. आज छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज सरगुजा द्वारा हसदेव अरण्य में काटे गए जंगल को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि पूर्व में ग्राम केटे को विस्थापित किया गया था। जहां बासेन में 20 बाई 20 का मकान बनाया गया है, जिसमें से दो-चार मकानों में लोग रह रहे हैं. बासेन के बाकी 70 घरों के लोग कहां गए? वह जीवित है या मृत, इसकी भी जानकारी दी जाए। इसके साथ ही आदिवासी समाज ने हसदेव अरण्य जंगल को असंवैधानिक तरीके से काटने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

 

आपको बता दें कि हसदेव क्षेत्र में राजस्थान पावर जनरेशन कंपनी को आवंटित कोयला खदान का एक वर्ग जहां समर्थन कर रहा है, वहीं इसके विरोध में भी लगातार लोग सामने आ रहे हैं. हालांकि, कुछ दिनों पहले कुछ ग्रामीणों द्वारा खदान को जल्द शुरू करने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग उठाई गई थी. ऐसे में राजस्थान बिजली कंपनी विरोध और समर्थन के इस भंवर में फंसती नजर आ रही है.|



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