यह नृत्य छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति
को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है। झांकी में टीम मुरिया जनजाति के
उत्सव नृत्य का प्रदर्शन करती नजर आएगी. लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय को नृत्य की
जिम्मेदारी दी गई है।
रायपुर. गणतंत्र दिवस परेड में
छत्तीसगढ़ की बेटियां अपना दमखम दिखाएंगी. 26 जनवरी की पूरी
परेड में नारी शक्ति की झलक दिखेगी. दरअसल, इस साल
छत्तीसगढ़ की ओर से तैयार की गई झांकी आदिवासी क्षेत्र जगदलपुर के मुरिया दरबार की
है. इस झांकी के सामने छत्तीसगढ़ की 16 बेटियां पारंपरिक वेशभूषा में 50
सेकेंड तक नृत्य करेंगी.
यह नृत्य छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति
को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किया गया है। झांकी में टीम मुरिया जनजाति के
उत्सव नृत्य का प्रदर्शन करती नजर आएगी. लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय को नृत्य की
जिम्मेदारी दी गई है।
इस डांस ग्रुप में भिलाई से 11
झांकी के सामने नृत्य करने वाले समूह
में 17 सदस्य होते हैं। इनमें से 11 भिलाई के हैं। भिलाई से शामिल सदस्यों
में लोक कलाकार रिखीराम क्षत्रिय भिलाई, नेहा अखाड़ा पाटन, प्रियंका
साहू कुम्हारी, हेमा कसाही पाटन, पलक कसाही पाटन,
उपासना
तांडी स्टेशन मरोदा, चंचल जांगड़े कैंप-1, प्रियंका साहू
स्टेशन मरोदा, ईश्वरी स्टेशन मरोदा, अनुराधा स्टेशन
मरोदा शामिल हैं। . , कंचन क्षत्रिय थाना मरोदा। इनके अलावा खट्टी
परसदा रायपुर से जागेश्वरी, जया लक्ष्मी ठाकुर, शशि
साहू, हितू साहू, तुमेश साहू और बालोद से माधुरी शामिल
हैं।
मुरिया दरबार, विश्व प्रसिद्ध
बस्तर दशहरा की एक परंपरा है
जानकारी: देश के 28
राज्यों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर के आदिम जन
संसद मुरिया दरबार को परेड के लिए चुना गया है. भारत सरकार की थीम लोकतंत्र की
जननी भारत पर आधारित है। इस झाँकी में केन्द्रीय विषय आदिम लोक संसद के अंतर्गत
जगदलपुर के मुरिया दरबार एवं उसके स्रोत लिमाऊ-राजा को दर्शाया गया है।
मुरिया दरबार विश्व प्रसिद्ध बस्तर
दशहरा परंपरा है जो 600 वर्षों से चली आ रही है। इस परंपरा की उत्पत्ति
के स्रोत कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमाऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं। इस
स्थान से जुड़ी लोक कथा के अनुसार आदिम काल में जब कोई राजा नहीं होता था तो आदिम
समाज नींबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में निर्णय लेते थे।